Amogh Lila Prabhu Biography in Hindi | अमोघ लीला प्रभु का जीवन परिचय

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Amogh Lila Prabhu Biography- अक्‍सर आपने नौजवानों को यह कहते हुये सुना होगा कि हमें बहुत सारा पैसा कमाना है और उससे गाडी बंगला खरीदना है,



जिससे हम अपने जीवन का समय खुशी के साथ जी सके लेकिन क्‍या आपने किसी ऐसे नौजवान के बारे में सुना है

जो असली खुशियों के लिये अपना पूरा जीवन भगवान को समर्पित कर दे। अगर नही तो

अमोघ लीला प्रभु का जीवन परिचय

हम आपको ऐसे ही नौजवान के जीवन से रूबरू कराने जा रहे हैं, जिनका नाम अमोघ लीला प्रभु Amogh Lila Prabhu है

जो वर्तमान समय में युवा पीढी के लिये पथ प्रदर्शक का कार्य कर रहे है। अमोघ लीला के जीवन से जुडे हर उस प्रश्‍न का जवाब आपको इस लेख में पढने को मिलेगा

जो कभी न कभी आपके मन में जरूर आया होगा तो चलिये शुरूआत करते है-

अमोघ लीला प्रभु कौन है | Who is amogh lila prabhu

अमोघ लीला वर्तमान समय में द्वारिका इस्‍कॉन के उपाध्‍यक्ष है,  साथ ही भगवत गीता के माध्‍यम से युवा पीढी को अध्‍यात्‍म मार्ग पर चलने के लिये प्रेरित कर रहे है।

इस्‍कॉन पूरी दुनिया में सनातन धर्म का प्रचार प्रसार करने वाली संस्‍था है। चार सम्‍प्रदायों में एक है माधवाचार्य सम्‍प्रदाय जिसका हिस्‍सा है इस्‍कॉन      

अमोघ लीला प्रभु का रियल नाम | Amogh lila prabhu original name

इस पोस्ट मे क्या है देखो




अमोघ लीला प्रभु या अमोघ लीला दास का वास्तविक नाम आशीष अरोड़ा है, जिनका जन्म एक पंजाबी परिवार में हुआ था।   

अमोघ लीला प्रभु जी का परिवार | Amogh lila prabhu family

अमोघ जी के पिता रॉ एजेंसी में नौकरी करते थे, जो वर्तमान में रिटायर्ड होकर दिल्ली में अमोघ की माता जी के साथ रहते हैं।

अमोघ की दो बहने हैं, जिनकी शादी हो चुकी है। अमोघ अपने माता-पिता की एकलौती पुत्र संतान हैं, जो कि इस्‍कॉन में आजीवन ब्रम्‍हचारी संत हैं।

अमोघ लीला प्रभु की शिक्षा | Amogh lila prabhu education qualification

अमोघ दास का जन्‍म लखनउ में हुआ था। चूंकि उनके पिताजी रॉ एजेंसी में काम करते थे और उनकी पोस्टिंग नार्थ ईस्‍ट के कई जिलों में रही है

इसलिए अमोघ लीला प्रभु Amogh Lila जी ने अपनी 12वीं तक की पढ़ाई किसी एक निश्चित जगह से नहीं की है।

अमोघ दास की प्रारंभिक शिक्षा की बात करें तो मिजोरम, गंगटोक, आइजोल, दार्जिलिंग में उन्‍होंने अपनी स्‍कूल शिक्षा प्राप्‍त की।

अमोघ लीला प्रभु का जीवन परिचय

कुछ समय बाद उनका परिवार दिल्‍ली आ गया। तो आगे की पढ़ाई उन्‍होंने दिल्‍ली से की।

उनकी गिनती हमेशा होनहार छात्रों में की जाती रही।

वर्ष 2000 में 12वीं पास करने के बाद वे भगवान को ढूंढ़ने के लिए घर से भाग गये थे और लगभग चार म‍हीने घर से बाहर रहे।

चार माह बाद वापस घर आ गये और आगे की पढ़ाई करने लगे।

वर्ष 2004 में ग्रेजुएशन कंपलीट की, उन्‍होंने सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी

ग्रेजुऐशन उन्‍होंने 89% Marks से पास की थी इसलिए उनकी यूनीवर्सिटी ने उन्‍हें ऑफर किया था कि बिना ऐन्‍ट्रेंस एग्‍जाम दिये मास्‍टर डिग्री कर सकते हो, पर उन्‍होंने मना कर दिया।

वर्ष 2004 में ही उन्‍हें जॉब मिल गयी और उन्‍होंने 2004 से 2010 तक सॉफ्टवेयर इंजीनियर की जॉब की,

और 2010 में जन्‍माष्‍टमी के दिन इस्‍कॉन में जाकर हमेशा के लिए हरे कृष्‍णा ब्रम्‍हचारी बन गये।


Amogh lila prabhu wikipedia

नाम अमोघ लीला प्रभु
रियल नाम आशीष अरोड़ा
जन्‍म तिथि 1 जुलाई 
जन्‍म स्‍थान लखनउ
शिक्षा सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग
कार्य द्वारिका इस्‍कान के उपाध्‍यक्ष
पत्‍नी का नाम शादी नही की 
गुरू का नाम गोपाल कृष्‍ण गोस्‍वामी जी महाराज
वर्तमान निवास स्‍थान द्वारिका इस्‍कान नई दिल्‍ली 
Official Facebookhttps://www.facebook.com/AmoghLilaPrabhu
twitter https://twitter.com/lilaamogh
फेवरेट राजनेतासुषमा स्‍वराज और नरेन्‍द्र मोदी
  

अमोघ दास आध्‍यात्‍म की ओर कैसे आये | Amogh lila prabhu spiritual journey

जब अमोघ बचपन में अपने माता-पिता के साथ घर से बाहर जाया करते थे और रास्‍ते में यदि उन्‍हें कोई मंदिर, मस्जिद या चर्च कुछ भी दिख जाये

तो वे उसके सामने खड़े होकर हाथ जोड़ते और सिर झुकाकर बोलते ‘जै’।

अमोघ बताते हैं कि उन्‍हें इन बातों की जरा भी समझ नहीं थी, पर उनकी मॉ उन्‍हें उनके बचपन की ये बातें बताती हैं तब अमोघ जी बड़े आर्श्‍चय में पड़ जाते हैं

और सोचते हैं कि जिस उम्र में बच्‍चों को ये नहीं पता होता है कि मंदिर, मस्जिद व चर्च ये क्‍या होते हैं? इनमें क्‍या होता है? उस उम्र में वे, ये स‍ब किया करते थे

जबकि उन्‍हें किसी ने मंदिर, मस्जिद व चर्च के आगे सिर झुकाना सिखाया ही नहीं था।

अमोघ लीला प्रभु जी Amogh Lila कहते हैं कि यह उनके पूर्व जन्‍मों के संस्‍कार थे कि उनका बचपन से ही आध्‍यात्‍म के प्रति झुकाव था।

अमोघ लीला प्रभु का जीवन परिचय

जब वे कक्षा 7वीं पढ़ते थे तो उनकी किताब में एक चेप्‍टर था, जिसमें भागवत गीता के सात श्‍लोक अर्थ सहित दिये गये थे।

जिनमें से एक श्‍लोक में बताया गया कि मन बहुत चंचल है, मन बहुत बलवान है, यह किसी की भी नहीं सुनता।

तो जब अमोघ ने इसे पढ़ा तो उन्‍हें लगा कि यहॉ तो मेरे मन की बात बतायी जा रही है कि मेरा मन बहुत चंचल है, मेरा मन किसी की भी नहीं सुनता।

तब वे सोचने लगे कि इस श्‍लोक को मेरे मन की बात कैसे पता चली?



और वे जिज्ञासावश अपनी टीचर के पास गये और बोले कि मैम इसमें तो मेरे मन की बात को बताया जा रहा है, इसे कैसे पता कि मेरा मन चंचल है और मेरी सुनता नहीं है।

तब उनकी मैम ने कहा कि ये गीता के श्‍लोक है, जिसमें संपूर्ण मानव जाति के बारे में बताया गया है।

अभी तुम्‍हारे सिलेबस में केवल 07 श्‍लोक ही है, वैसे तो संपूर्ण भागवत गीता में 700 श्‍लोक हैं।

तब अमोघ लीला दास Amogh Lila के मन में आया कि जब केवल सात श्‍लोकों ने मेरी इतनी पोल-पट्टी खोल दी तो 700 श्‍लोक तो मेरे पूरे जीवन के बारे में बता देंगे,

इसलिए उनके मन में भगवत गीता पढ़ने की उत्‍कंठा जगी और तभी से उनका भगवत गीता और आध्‍यात्‍म के प्रति आकर्षण बढ़ने लगा।

श्रील प्रभुपाद और इस्कॉन के संपर्क में कैसे आये | How to join iskcon Amogh lila

अमोघ दास को भगवत गीता पढ़ने में बहुत ज्‍यादा रुचि थी, इसलिए वे करीब आठ लेखकों द्वारा लिखी गयी भगवत गीता को पढ़ चुके थे

और इसके अलावा वे और भी कई लेखकों द्वारा लिखी गयी भगवत गीता को पढ़ने के लिए खोजा करते थे।

तो इसी खोज में उन्‍हें एक भगवत गीता मिली जो प्रभुपाद जी द्वारा लिखी गयी थी, उसको पढ़ने के बाद अमोघ दास को लगा कि मैंने इतनी सारी भगवत गीता पढ़ी हैं,

लेकिन इस भगवत गीता में जो लिखा है उससे ऐसा लगता है कि इसे लिखने वाला आदमी जरुर ही भगवान कृष्‍ण को बहुत अच्‍छी तरह से जानता है या फिर भगवान कृष्‍ण के साथ रहा है।

क्‍योंकि प्रभुपाद जी की भगवत गीता में बहुत ही सरल शब्‍दों में भगवान कृष्‍ण के गीता सार को समझाया गया है।

तो यही सब बातें उनके दिमाग में चलती रही और 12वीं कक्षा पास करने के बाद 18 साल की उम्र में वर्ष 2000 में अमोघ लीला प्रभु Amogh Lila  ने अपने माता-पिता के नाम एक चिट्ठी अपने कमरे में छोड़ दी

जिसमें लिखा था कि मैं भगवान को ढूढ़ने जा रहा हॅू, जब भगवान मिल जायेंगे तो उनको धन्‍यवाद देकर मैं घर वापस आ जाउंगा, और घर से भगवान की खोज में चले गये।

अमोघ दास अपने स्‍कूल टाइम में क्रिकेट, बैडमिंटन, बॉलीबॉल, डांसिंग, पेंटिंग, सिंगिग, फुटबाल, ड्राईंग, फैंसी ड्रेस, कविता लेखन

अमोघ लीला प्रभु का जीवन परिचय

इसके अलावा भी बहुत सारी प्रतिभाओं में निपुण थे। इसके साथ-साथ पढ़ाई में भी हमेशा अव्‍बल आते थे,

इसलिए उनको लगता था कि भगवान ने मुझे कितना कुछ दिया है, पर मैंने भगवान को कुछ भी नहीं दिया है

इसलिए मुझे भगवान को कम से कम धन्‍यवाद तो देना ही चाहिए, इसलिए भगवान को धन्‍यवाद देने वे घर से भाग गये।

वे कई मंदिरों, आश्रमों, संतो तथा बाबाओं के पास गये और उनसे भगवान का पता पूछा, पर कोई सफलता नहीं मिली।

तब उन्‍हें अचानक ध्‍यान आया कि मैंने जो प्रभुपाद जी की भगवत गीता पढ़ी थी उसमें बहुत अच्‍छी बातें लिखी थी, इसलिए चलो इस्‍कॉन में ही चलते हैं



यह एक अंतर्राष्‍ट्रीय संस्‍था है तो वहॉ भ्रष्‍टाचार और भ्रामकता ज्‍यादा नहीं होगी, हो सकता है वहॉ भगवान मिल जायें।

तो अमोघ Amogh Lila ईस्‍ट ऑफ कैलाश द्वारिका इस्‍कॉन मंदिर पहॅुचे, जहॉ वे तीन म‍हीने ब्रम्‍हचारी के रूप में रहे

और भगवान के प्रति जितने भी मन में सवाल थे, सभी सवालों के जवाब उन्‍हें वहॉ मिले और वे पूर्ण रूप से संतुष्‍ट हो गये कि कृष्‍ण ही भगवान हैं।

तीन महीने बाद वहॉ के संतों को अमोघ लीला Amogh Lila ने बताया कि वे घर से भागकर आये हैं, तब इस्‍कॉन वालों ने कहा कि यह तुमने गलत किया है

तुम्‍हें अपने माता-पिता को बताना चाहिए तब उनके माता-पिता इस्‍कॉन टेम्‍पल आये और वहॉ से अमोघ को घर ले गये।

जहॉ फिर उनहोंने अपनी आगे की पढ़ाई शुरु कर दी। तो इस प्रकार उनका इस्‍कॉन टेम्‍पल से संपर्क हुआ।

वर्ष 2010 में अमोघ Amogh Lila कृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी के दिन इस्‍कॉन मंदिर में आकर पुन: ब्रम्‍हचारी बन गये जहॉ तीन साल तक रहे

और वर्ष 2013 में वे द्वारिका इस्‍कॉन टेम्‍पल में आ गये। तब से लेकर आज तक प्रभुजी वहीं अपनी सेवायें दे रहे हैं और वर्तमान में द्वारिका इस्‍कान के उपाध्‍यक्ष हैं।

अमोघ दास के गुरु कौन हैं | Amogh lila ke guru

जब अमोघ ने श्रील प्रभुपाद जी की भगवत गीता पढ़ी तो उनके मन में यह ख्‍याल आया था‍ कि यदि भविष्‍य में इनसे कभी मिलना हो पाया तो मैं इन्‍हीं से दीक्षा लूंगा।

अमोघ लीला प्रभु का जीवन परिचय

लेकिन अमोघ दास Amogh Lila की आध्‍यात्मिक यात्रा के शुरु होने के पहले ही श्रील प्रभुपाद जी ने शरीर छोड़ दिया था।

इसलिए अमोघ दास ने वर्ष 2006 में परम पूज्‍य गोपाल कृष्‍ण गोस्‍वामी जी महाराज से ईस्‍ट ऑफ कैलाश में दीक्षा ली और उनके शिष्‍य बन गये।   



अमोघ दास ने इस्‍कॉन को ही क्‍यों चुना:-

अमोघ के इस्‍कॉन से जुड़ने के तीन कारण थे।

पहला- भगवत गीता के प्रति आकर्षण।

दूसरा- भगवान को धन्‍यवाद बोलना है, (इसके बारे में आप उपर पढ़ चुके हैं कि वे भगवान को धन्‍यवाद क्‍यों बोलना चाहते थे)

और तीसरा- उनका मानना था कि लोगों के पास धन, दौलत, पैसा, गाड़ी, परिवार सब कुछ है, जिससे लोग बाहर से तो खुश हैं,

लेकिन मन के अंदर से बहुत दुखी हैं इसलिए वे चाहते थे कि लोगों के मन की सेवा की जाये जिससे वे अंदर से भी सुखी हो जायें।

तो जब वे इस्‍कॉन में पहली बार आये तो उन्‍होंने अनुभव किया कि उनकी तीनों चीजों की पूर्ति इस एक ही जगह से हो जायेगी, क्‍योंकि यहॉ भगवत गीता पढ़ने को मिलेगी।

मेरे पास जो है उसे मैं लोगों की सेवा में लगाउंगा, तो भगवान का धन्‍यवाद हो जायेगा

और मैं अपने ज्ञान से लोगों को समस्‍याओं का समाधान करूंगा, जिससे उनके मन की भी सेवा हो जायेगी।

तो उनको केवल इस्‍कॉन में ही तीनों चीजों की पूर्ति होती हुयी दिख रही थी

इसलिए उन्‍होंने सोचा कि एक दिन मैं इस्‍कॉन में आकर हमेशा के लिए हरे कृष्‍णा ब्रम्‍हचारी बन जाउंगा और इसीलिए Amogh Lila इस्‍कॉन से जुड़े।  

अमोघ जब संत बने तो उनके मातापिता की प्रतिक्रिया:-

अमोघ दास Amogh Lilaजी कहते हैं कि जब बच्‍चे छोटे होते हैं तो हर माता-पिता अपने बच्‍चे का भविष्‍य ज्‍योतिषी से दिखवाते हैं



तो मेरे माता-पिता ने भी एक ज्‍योतिषी से मेरा भविष्‍य दिखवाया था तो उन्‍होंने मेरे माता-पिता को बताया था कि

आपका बच्‍चा 18-20 साल की उम्र में भगवान को ढूढ़ने के लिए घर से भाग जायेगा और आगे जाकर संत हो जायेगा।

इसलिए उनके माता-पिता को जब वर्ष 2010 में यह पता चला कि उनका एकलौता लड़का आशीष अरोड़ा अब पूरी तरह से संत बनने जा रहा है

तो थोड़ा दुख तो हुआ, लेकिन चूंकि उन्‍हें पहले से ही इस बात का आभाष था कि ये संत बनेगा तो धीरे-धीरे उन्‍होंने इस बात को स्‍वीकार कर लिया

और आज उनके माता-पिता खुशी-खुशी अपने बच्‍चे अमोघ लीला पर गर्व करते हैं

कि वह समाज की निस्‍वार्थ भाव से सेवा कर रहा है और समाज को सही दिशा दे रहा है।

खुद अमोघ की माताजी भी वर्तमान में इस्‍कॉन में सेवा दे रही है।

जब अमोघ के रिश्तेदारों को इस बारे में पता चला तो वे अमोघ को सलाह दिया करते थे कि

देख बेटा ये साधु संत बनने में क्या रखा है? ये सब बहुत बदमाश होते हैं, तू इन चक्करों में मत पड़।

तू तो इंजीनियर है, जवान है, पढ़ा लिखा है, सुंदर है इसलिए किसी से शादी कर और अपना घर बसा, क्योंकि यही एक साधारण जीवन होता है।

अमोघ लीला प्रभु का जीवन परिचय

इसके अलावा अमोघ के स्‍कूल के दोस्‍त और ऑफिस के सहकर्मी भी इस बात को समझते थे

कि यह बंदा अलग टाइप का है, यह साधारण नहीं है। यह आगे जाकर कुछ बड़ा करेगा,

क्‍योंकि अमोघ पिछले जन्‍म में भी संत ही थे तो इस जन्‍म में उनकी आध्‍यात्मिक यात्रा शुरु से आरंभ नहीं हुयी,

बल्कि वहीं से शुरु हुयी, जहॉ उन्‍होंने पिछले जन्‍म में छोड़ी थी।

क्‍योंकि आध्‍यात्मिक यात्रा का यही सिद्धांत होता है कि पिछले जन्‍म में हम जहॉ से छोड़ते हैं, इस जन्‍म में उसके आगे से शुरु होती है।

Katha Star के प्रिय पाठकों हमने आध्‍यात्‍मिक यात्रा के बारे में आपको पूनम दीदी के लेख में भी बताया था

यदि आप इसके बारे में जानने के इच्‍छुक हैं तो पूनम दीदी  का लेख जरूर पढ़ें।



तो अमोघ Amogh Lila जब स्‍कूल में थे तो अपनी कक्षा के दोस्‍तों को और जॉब के दौरान अपने सहकर्मियों को आध्‍यात्मिक जीवन और भक्ति के बारे में बताते रहते थे,

सबको निंदा चुगली ईष्‍या करने से रोकते थे, सबको खुश रहने के लिए कहते, जो मांसाहारी थे, उनको मांसाहार छोड़ने के लिए कहते

इसलिए उनके दोस्‍त व उनके सहकर्मी उनसे अक्‍सर कहा करते थे कि तू तो संत है।

इसलिए उन्‍हें जब पता चला कि अमोघ अब पूरी तरह से संत हो गया है तो वे सब बहुत खुश हुये और उन्‍हें भी अपने साथी, अपने दोस्‍त पर गर्व है।

इसके साथ-साथ अमोघ जिस कंपनी में काम करते थे उस कंपनी के बॉस आज भी द्वारिका इस्‍कॉन टेम्‍पल आते हैं

और अमोघ को देखकर बहुत खुश होते हैं और उनकी खूब तारीफ करते हैं।

अमोघ दास Amogh Lila कहते हैं कि उनके हरे कृष्णा ब्रम्हचारी बनने के पहले, उनके जीवन में जितने भी लोग थे, वे उनसे केवल खुश रहा करते थे,

लेकिन उनके हरे कृष्णा ब्रम्हचारी बनने के बाद वे सभी लोग उनसे बहुत-बहुत ज्‍यादा खुश रहते हैं और उनपर गर्व करते हैं। 

अमोघ के व्‍यवसायिक जीवन (JOB) की दिनचर्या:-

अमोघ लीला दास Amogh Lila जी बताते हैं उन्‍होंने 06 साल जॉब की और जब वे जॉब में थे तो शुरुआत कें दिनों में सबसे बड़ी समस्‍या होती थी, सुबह जल्‍दी उठने की।

क्‍योंकि यदि सुबह उठने में देर हो गयी तो दिन भर का सारा टाइमटेबल बिगड़ जाया करता था

और पूरा दिन बर्बाद हो जाता था, क्‍योंकि व्‍यवस्थित जीवन जीने के लिए सबसे महत्‍वपूर्ण है कि आप सुबह जल्‍दी उठें।

तो अमोघ दास सुबह जल्‍दी उठकर नित्‍यक्रिया से निवृत्‍त होकर हरे कृष्‍णा नाम जप (Hare Krishna Chanting) किया करते थे,

उनका लक्ष्‍य होता था सुबह से 16 माला करने का, लेकिन जिस दिन आलस्‍य के कारण लेट उठते तो

उस दिन 16 की जगह 12 तो कभी 10 तो कभी 8 माला ही किया करते थे और किसी दिन यदि ज्‍यादा ही लेट उठे

तो केवल 02 माला करके या बिना माला किये ही ऑफिस के लिए निकल जाया करते थे।

अमोघ दास Amogh Lila जी कहते हैं कि जिस दिन केवल 02 माला करके या बिना माला किये ऑफिस जाता था

उस दिन ऑफिस में उनकी खूब क्‍लास ली जाती थी।

बॉस नाराज, कोई काम करो तो बार-बार गलती हो, क्रोध आये, थकान हो जाये, काम करने में मन न लगे

और जिस दिन 12 या 16 माला करके जाते थे, उस दिन सब काम बढि़या तरीके से होता था

और पूरा दिन खुशी खुशी बीत जाया करता था। जिस काम के बारे में सोचता वह काम बड़ी आसानी से हो जाया करता था।

अमोघ लीला प्रभु का जीवन परिचय

क्‍योंकि सुबह का समय कृष्‍णा के साथ बीतता था इसलिए पूरा दिन मक्‍खन की तरह बढिया हो जाया करता था।

अमोघ दास जी अपनी जॉब के दौरान सप्‍ताह में दो दिन इस्‍कॉन जाया करते थे।

गुरुवार को शाम के समय ईस्‍ट ऑफ कैलाश में भगवत गीता की क्‍लास चलती थी

तो अमोघ दास गुरुवार की क्‍लास अटेंड करने के लिए ऑफिस से सीधे इस्‍कॉन पहॅुच जाया करत थे।



और रविवार को सुबह 04:30 बजे की मंगल आरती में भी नियमित रूप से इस्‍कॉन टेम्‍पल जाया करते थे

चाहे कितनी भी ठंड पड रही हो या कितनी भी जोरदार बारिश हो रही हो अमोघ का मंगल आरती में जाना निश्चित होता था।

इसके लिए वे शनिवार शाम को ही ऑटो बुक कर लिया करते थे कि भाई कल सुबह पौने चार बजे आ जाना, मुझे साढ़े चार बजे ईस्‍ट ऑफ कैलाश पहुंचना है

और इसके लिए वे ऑटो वाले को अतिरिक्‍त पैसा भी दिया करते थे तो पैसे की लालच में ऑटो वाला सुबह पौने चार बजे आकर

खुद अमोघ को फोन लगाकर बुलाता कि भाई आ जाओ मैं बाहर खड़ा हॅू तो इस प्रकार अमोघ मंगल आरती में पहुंच जाया करते थे।

इस प्रकार अमोघ की रविवार की दिनचर्या थी कि मंगल आरती में शामिल होना, भक्‍तों के साथ हरे कृष्‍णा नाम जप,

भगवत गीता पर लेक्‍चर सुनना, भक्‍तों के साथ प्रसाद पाना और मंदिर की थोड़ी बहुत सेवा करके अपने घर आ जाना।

इसके अलावा सप्‍ताह के शेष दिनों में वे एक सामान्‍य जीवन जिया करते थे।

ऑफिस में बड़ी ही जागरुकता के साथ काम किया करते थे, घर में माता-पिता का सहयोग किया करते थे, उनके साथ समय बिताते थे,

बाजार से सामान लाया करते थे, सभी से हंसना, खेलना, बोलना वगैरह-वगैरह सब कुछ किया करते थे।

लेकिन उनके हफ्ते के दो दिन इस्‍कॉन के लिए निश्चित हुआ करते थे

और इस प्रकार की व्‍यवस्थित दिनचर्या जीने के लिए सबसे चुनौतीपूर्ण होता था रात को समय से सोना।

क्‍योंकि जब रात को समय से सोयेंगे तभी से सुबह से जल्‍दी उठ पायेंगे।

अमोघ जी को अपने घर से ऑफिस जाने में डेढ़ घंटे का समय लगता था और आने में भी डेढ़ घंटे का समय लगता था

इसलिए उनके दिन के तीन घंटे यात्रा में निकलते थे, लेकिन वे इस समय का सदुपयोग किया करते थे।

वे दो घंटे इस दौरान भागवत गीता पढ़ा करते थे और थकान हो जाने के कारण एक घंटे पावर नैप भी लिया करते थे

और उसी समय में कभी-कभी में अपने दोस्‍तों के साथ बातें भी कर लिया करते थे।

जिस दिन भागवत गीता पढ़ने का मन नहीं होता था तो उस दिन मोबाइल में  MP3 Format में इस्‍कॉन के भगवत गीता के लेक्‍चर सुना करते थे।

अमोघ लीला प्रभु का जीवन परिचय

इसलिए अमोघ दास Amogh Lila कहते हैं कि Cooperative Life के साथ-साथ Spiritual Life भी Possible है,

परंतु यह तभी संभव है जब हमारे अंदर आध्‍यात्‍म और भक्ति की तड़प हो यदि हम उसे शिद्दत से चाहेंगे

तो भगवान हमें बुद्धि देते हैं कि हमें अपने आध्‍यात्मिक जीवन और भक्ति के लिए कैसे समय निकालना है।

और जो लोग शिकायत करते रहते हैं कि हमारे पास भक्‍ति के लिए समय नहीं है, बहुत ज्‍यादा ब्‍यस्‍त रहते हैं,

तो ये सब भक्ति न करने के बहाने हैं, और इससे यह पता चलता है कि आपका भक्ति और आध्‍यात्‍मक के प्रति जरा भी रुझान नहीं है।

अमोघ लीला प्रभु सबको हंसाते क्यों हैं:

अमोघ लीला दास Amogh Lila जी कहते हैं कि हमारे समाज में माना जाता है कि भक्त बड़ी गंभीर प्रवृत्ति के होते हैं

पर गंभीर होने का यह अर्थ नहीं कि हम हंसना ही भूल जायें।



गंभीर होने का मतलब है कि वह व्यक्ति अपने आध्यात्मिक जीवन को लेकर बहुत गंभीर है,

जब वह भगवान का नाम लेता है तब वह गंभीर हो जाये, भगवत गीता पढ़े तो गंभीर होकर पढ़े।

ऐसा नहीं कि वह घर परिवार समाज से बोलना ही बंद कर दे, हंसना ही बंद कर दे।

आध्यात्मिक यात्रा तो एक आनंददायक यात्रा है, इसकी यात्रा करने वाला तो प्रसन्न होता ही है

और उसके संपर्क में आने वाले लोग भी प्रसन्नता से भर जाते हैं।

भक्ति का गुण भी यही होता है कि भक्त परम सुख और परम शांति को प्राप्त कर ले।

हमारे जीवन में आध्यात्म की क्या जरूरत हैः

अमोघ दास जी Amogh Lila कहते हैं कि जब वे संत बनने जा रहे थे तो उनके माता-पिता, रिश्तेदार, समाज और दोस्तों ने यही समझाया था

कि तुम शादी करो और अपना घर बसाओ, यही एक सामान्य जीवन होता है।

आध्यात्म में जाकर कुछ हासिल नहीं होगा, क्योंकि हमें इसकी कोई जरूरत नहीं है।

यह तो एक प्रकार की धारणा है, हॉ-हॉ ये भी करना चाहिए पर थोड़ा-थोड़ा। 

लेकिन यदि वास्तविकता में देखा जाये तो हमारे समाज के हर इंसान को आध्यात्मिकता की बहुत जरूरत है।

क्योंकि लोगों के पास पैसा, पावर, परिवार, मकान, धन, सुंदरता, फैन फोलोविंग और वे सब चीजें मौजूद हैं, जिन्हें समाज में खुशी का आधार माना जाता है



पर वास्तविकता में देखा जाये तो उनके जीवन में खुशी है ही नहीं, उनका जीवन पूरी तरह से खोखला है

और इस खोखलेपन को वे दारू, सिगरेट, नाइट पार्टी आदि से भरते हैं तब भी उनका जीवन खोखला ही रहता है,

क्योंकि उन्हें पता ही नहीं होता है कि यह खोखलापन केवल आध्यात्मिकता और भक्ति से ही भर सकता है। 

पर अज्ञानता के कारण लोग वहीं फसे रह जाते हैं और जो आध्यात्मिकता की ओर जाता है,

उसे हतोत्साहित करते रहते हैं कि हम यहॉ फंसे हैं तो तुम भी यहीं आकर फंसो।

अमोघ के जीवन में क्या संघर्ष रहा | Amogh lila Prabhu struggle life story

अमोघ जी बताते हैं कि वे 12 वीं के बाद वर्ष 2000 से ही Hare Krishna Devotees के संपर्क में आ गये थे

और वर्ष 2000 से 2004 के बीच उनके ग्रेजुऐशन पीरियड में वे लगातार इस्कॉन के भक्तों के संपर्क में रहे।

उन्हें भी संसार के विकारों और आकर्षणों ने घेरा, पर इस दौरान वे हमेशा अपनी आध्यात्मिकता और भक्ति पर काम करते रहे,

जिससे कभी भी विकार उन पर हावी नहीं हो पाये और उन्हें कभी इस बात का आभाष ही नहीं हुआ

कि उन्हें इस सबसे संघर्ष करना पड रहा है। ये सभी प्रकार के विकार अपने आप ही दूर होते चले गये।

उनके साथी दोस्त और सहकर्मी भी कभी-कभी उनका मजाक उडाया करते थे कि अबे ये क्या कर रहा है?

इसमें कुछ नहीं रखा, तू हैंडसम है, इस समय तो तेरे हाथ में किसी लड़की का हाथ होना चाहिए था पर तू जप माला लेकर घूम रहा है।

अमोघ जी Amogh Lila बताते हैं कि इन सब बातों का उन पर कभी कोई प्रभाव नहीं पड़ा,

क्योंकि वे हमेशा अपनी आध्यात्मिकता और भक्ति पर काम करते रहे तो इसलिए सबकुछ आसान होता चला गया। 

अमोघ YouTube Star कैसे बने:-

जब अमोघ दास Amogh Lila नये-नये ब्रम्‍हचारी बने तो उस समय वे मायापुर धाम में रहते थे तो उसी दौरान उनकी मुलाकात हरे कृष्‍णा टीवी के सदस्‍य श्री राधा रसिकदास प्रभु से हुयी।

उन्‍होंने अमोघ से कहा कि मैं आपके कुछ वीडियो शूट करना चाहता हॅू तो अमोघ बोले कि

प्रभुजी मायापुर धाम में बड़े-बड़े दिग्‍गज वैष्‍णव संन्‍यासी हैं, आप उनके वीडियो बनाइये, मैं तो एक छोटा सा ब्रम्‍हचारी हॅू।

तब श्री राधा प्रभु जी बोले कि सबके वीडियो शूट किये जा रहे हैं, तो मैं चाहता हॅू कि कुछ वीडियो आपके भी शूट कर लिये जायें।

अमोघ लीला प्रभु का जीवन परिचय

तो अमोघ दास Amogh Lila के कुछ वीडियो शूट करके चैनल पर अपलोड किये गये तो वे वीडियो चल गये, जिससे अमोघ धीरे-धीरे फेमस हो गये।

तो श्री राधा प्रभु, अमोघ लीला दास से बोले कि आपके सारे के सारे वीडियो यूट्यूब पर चल रहे हैं तो मुझे लगता है कि आपको कुछ और वीडियो शूट कराना चाहिए।

तब दिल्‍ली के द्वारिका इस्‍कॉन में अमोघ के इस बार 40 वीडियो शूट कर अपलोड किये गये, और वे सब वीडियोज भी हिट हो गये।



इसके बाद 40 और वीडियो शूट किये गये इस प्रकार अमोघ लीला प्रभु जी के 100 वीडियो शूट किये गये जो सारे के सारे वायरल हो गये और अमोघ जी YouTube Star बन गये।

इस समय अमोघ लीला प्रभु जी के वीडियो My Ashraya और Hare Krsna TV यूट्यूब चैनल पर अपलोड किये जाते हैं।

हमें भक्ति क्यों करना चाहिएः

दुनिया में अस्थाई सुख और आनंद पाने के कई उपाय है, लेकिन वो सुख कुछ समय के लिए आता है और चला जाता है,

पर यदि हमें स्थाई रूप से सुख और आनंद पाना है तो वह केवल और केवल भक्ति से ही मिल सकता है।

हमारे समाज में सब प्रकार के सुखों की व्यवस्था की गयी है इन्‍द्रियों को सुख देने के लिए

स्वादिष्ट भोजन, कुछ सुंदर देख लेना, कुछ कोमल छू लेना आदि इन सबसे इन्‍द्रियों को सुख मिलता है।

शारीरिक सुख की भी व्यवस्था है, मानसिक सुख की भी व्यवस्था है पर आध्यात्मिक सुख की कोई व्यवस्था नहीं है।

भक्ति करने से ही यह आध्यात्मिक सुख और संतुष्टि हमें मिल सकती है इसलिए भक्ति करना चाहिए।

भक्‍ति इंसान को जिम्‍मेदार, जागरुक और स्‍वाबलंबी बनाती है तथा इंसान को लापरवाह से बेपरवाह बना देती है।

चलतेचलते:-

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आपके प्रश्‍नों का जवाब – 



प्रश्‍न:- क्‍या इस्‍कॉन संस्‍था भक्ति के नाम पर विदेशो में पैसा भिजवाती है?

उत्‍तर:- नहीं, इस्‍कॉन पूरी दुनिया में सनातन धर्म का प्रचार प्रसार करने वाली संस्‍था है।

प्रश्‍न:- इस्‍कॉन संस्‍था युवाओं का ब्रेन वॉश करती है?

उत्‍तर:- अमोघ लीला दास जी Amogh Lila  कहते हैं कि इस्‍कॉन के अंदर 99.99 % प्रतिशत लोग ग्रहस्‍थ जीवन जीते हैं।नौकरी के लिए, देशभक्ति के लिए और सामाजिक कार्यों के लिए घर छोड़ना उचित है, शादी के बाद लड़की का अपनी मॉ का घर छोड़ना उचित है तो भगवान के संदेश को फैलाने के लिए घर छोड़ना अनुचित कैसे हो सकता है

प्रश्‍न:- क्‍या इस्‍कॉन संस्‍था पैसा कमाने का अड्डा है?

उत्‍तर:-अकेले इस्‍कॉन द्वारिका में जन्‍माष्‍टमी के दिन पॉच लाख लोगों को फ्री प्रसाद वितरित किया जाता है।
मंदिर के अंदर ही अनाथालय, स्‍कूल, अस्‍पाताल एवं बीजा आफिस संचालित हैं, इन समाज सेवा के कार्यों को संचालित करने के लिए पैसों की आवश्‍यकता तो होती ही है।

प्रश्‍न:-क्‍या इस्‍कॉन संस्‍था समाज के पैसे का दुरुपयोग करती है?

उत्‍तर:- समाज से आये हुये पैसे को इस्‍कॉन द्वारा संचालित कई तरह की सामाजिक गतिविधियों और समाज सेवा के माध्‍यम से समाज में ही वितरित किया जाता है।

प्रश्‍न:- अमोघ लीला दास विवाहित है या अविवाहित?

उत्‍तर:– अविवाहित।

प्रश्‍न:- अमोघ लीला प्रभु को भक्ति के अलावा और क्‍या आता है?

उत्‍तर:- क्रिकेट, बैडमिंटन, बॉलीबॉल, डांसिंग, पेंटिंग, सिंगिग, फुटबाल, ड्राईंग, फैंसी ड्रेस, कविता लेखन इसके अलावा भी बहुत कुछ।

प्रश्‍न:- अमोघ लीला दास पिछले जन्‍मों में क्‍या थे?

उत्‍तर:-उनके माता पिता ने किसी तांत्रिक से पूछा तो पता चला कि अमोघ पिछले दो-तीन जन्‍मों से संत हैं। और इस जन्‍म में भी 20-22 साल की उम्र में भगवान को ढूढ़ने घर से चला जायेगा।

प्रश्‍न:- क्‍या इस्‍कॉन वाले युवा बच्‍चों को फंसा लेते हैं?

उत्‍तर:- नहीं। सब अपनी स्‍वेच्‍छा और ईश्‍वर की भक्‍ति से प्रेरित होकर इस्‍कॉन में आते हैं।

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5 thoughts on “Amogh Lila Prabhu Biography in Hindi | अमोघ लीला प्रभु का जीवन परिचय”

  1. Hare Krishna
    Amogh ji ki bohot sundar kahani ha ye aur mai krishna ji se prathna karunga ki abki baar amogh ji ko janam mrityu ka chakar se chuty dekar unko apni ashrya ma lele yani unko moksh de de aur mai bhi yahi chahta hu ki mushe moksh mil jaaye mushe swarg nahi jana kyuki mushe stri sukh ya indratripti ma bhog nahi bhogna mushe toh sirf Krishna sukh chahiye
    Hare Krishna 🙏🚩❤️🕉️

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