Brahmacharya Kya Hai | ब्रह्मचर्य का पालन कैसे करें

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आज इस लेख में आपको Brahmacharya से जुडे सभी प्रश्‍नो का जवाब बहुत ही सरल भाषा में समझाने का प्रयास करूंगा। और ब्रह्मचर्य से जुडे कुछ अपने अनुभव भी आपके साथ साझा करूंगा। इसलिये लेख को पूरा पढियें आपको बहुत कुछ जानने को मिलेगा तो चलिये लेख की शुरूआत करते है।

प्राचीन भारतीय संस्‍कृति में ब्रम्‍हचर्य का विस्‍तृत वर्णन मिलता है। जिसमें सनातन धर्म के ऋषियों ने अध्‍यात्‍मिक यात्रा के लिये ब्रम्‍हचर्य Brahmacharya को महत्‍वपूर्ण बताया है।

लेकिन जिस ब्रम्‍हचर्य की बात ऋषियों ने की थी, उसको आज ज्‍यादातर गलत तरीके से लोगों के सामने पेश किया जा रहा है। यह बात इसलिये मुझे यहां कहनी पड रही है,  

Brahmacharya Kya Hai

क्‍योकिं जब मैने youtube में ब्रम्‍हचर्य के बारे में सर्च किया तो बहुत से रिजल्‍ट सामने आये। जिसमें यह कहा जा रहा है कि अगर आप मात्र 30 दिनों तक ब्रम्‍हचर्य(वीर्य को रोकना) का पालन करते हो तो आपको असाधारण शक्ति शक्ति की प्राप्ति हो जायेगी।

आप कभी बिमार नही होगें और आप अपने जीवन में जो भी भौतिक सुख सुविधायें पाना चाहते है, उसको बहुत ही असानी से प्राप्‍त कर लेगें। ऐसी ही लुभाने वाली बाते विडियों में बताई जाती है।

जिससे लोगो का समय बर्बाद होता है और वो Brahmacharya को सही तरीके से कभी जान ही नही पाते है।  वैसे इंटरनेट की दुनिया में ज्‍यादातर लोगो का मकसद होता है पैसा कमाना वो फिर चाहे लोगो को गलत जानकारी देकर ही क्‍यो न कमाया जाय। इसिलये ब्रम्‍हचर्य को लेकर इतना झूठा प्रचार किया जा रहा है।

जहां तक मैने ब्रम्‍हचर्य को लेकर जो अध्‍ययन किया है, वो इन सब बातो से अलग है। आगे लेख में मै पूरी कोशिश करूंगा कि आपको ब्रम्‍हचर्य से सम्‍बन्धित हर छोटे बडे सवाल का जवाब बहुत ईमानदारी से दूं ताकि आप ब्रम्‍हचर्य की सचाई को जान पाये, तो चलिये सबसे पहले जान लेते है कि –

ब्रह्मचर्य का अर्थ | What is Brahmacharya 

ब्रम्‍हचर्य का सीधा सा अर्थ यह होता है कि आपकी जीवनचर्या ब्रम्‍ह की तरह हो जाना अर्थात जब मनुष्‍य का आचरण ब्रम्‍ह के केन्‍द्र से संचालित होने लगता है, तो उस मनुष्‍य को ब्रम्‍हचारी कहा जाता है।

Brahmacharya Kya Hai

जब व्‍यक्ति ब्रम्‍हचर्य को प्राप्‍त होता है तो उसको इस जगत की बहुत सी भौतिक सुख सुविधाये,  ब्रम्‍हचर्य के सुख से छोटी प्रतीत होने लगती है।

इस जगत की बहुत सी भौतिक सुख सुविधाये में एक सुख जो पुरूष को स्‍त्री से और स्‍त्री को पुरूष मिलता है यानि संभोग का सुख वो भी मनुष्‍य को बहुत छोटा दिखाई देने लगता है।

और फिर ब्रम्‍हचर्य को प्राप्‍त होने वाला व्‍यक्ति इन सब छोटी-छोटी बातों में अपना समय व्‍यर्थ नही गंवाता है। लेकिन यहां इसका मतलब यह नही है कि ब्रम्‍हचारी व्‍यक्ति शादी नही कर सकता। ब्रम्‍हचर्य का विवाह से कोई सबंध नही होता है और ना ही वीर्य से कोई मतलब होता है।

कुछ लोग अपने अहंकार को बढावा देने के लिये वीर्य को बहुत अशुध्‍द बता देते है, जबकि वो यह भूल जाते है कि जिस शरीर को वह धारण किये हुये है वह भी एक वीर्य का विस्‍तृत रूप है।

और वीर्य तो मनुष्‍य का प्राकृतिक गुण है, यह गुण मनुष्‍य का ही नही अपितु समस्‍त प्राणी जगत के जीवों का है। इसलिये वीर्य को ब्रम्‍हचर्य के लिये अशुध्‍द मानना गलत है।

एक बात यहां ध्‍यान देने वाली यह कि जिस ब्रम्‍हचर्य की परिभाषा, आज के लोगो द्वारा गढी जा रही है, उसका केंद्र काम ही है। इस बात को आप इस तरह समझे कि जो व्‍यक्ति संभोग करता है वो कामी और जो व्‍यक्ति काम को त्‍याग दे वो ब्रम्‍हचारी। इसलिये मनुष्‍य काम के साथ चले या फिर काम के विपरीत कुल मिलाकर बात एक ही होती है।

जबकि ब्रम्‍हचर्य का इन सब छोटी-छोटी बातो से कोई लेना देना नही होता है। हां ब्रम्‍हचर्य में एक बात जरूरी होती है कि जब व्‍यक्ति ब्रम्‍हचर्य को उपलब्‍ध होता है तो वो हर किसी से एक स्‍वस्‍थ्‍य सम्‍बंध बनाता है।

जैसे कि ब्रम्‍हचारी व्‍यक्ति हर किसी महिला को काम भरी निगाहो से नही देखता है। कुल मिलाकर ब्रम्‍हचर्य का अर्थ है सत्‍य को जान लेना। इस प्रकार अब आप समझ गये होगे कि ब्रम्‍हचर्य Brahmacharya क्‍या है। अब बढते है अगले सवाल की ओर-

ब्रह्मचर्य का पालन कैसे करें | How to do Brahmacharya

वैसे तो ब्रम्हचर्य का पालन करने के लिये कोई विशेष नियम नही होता है, क्‍योकि ब्रम्‍हचर्य कोई शारीरिक क्रिया नही है, जिसे आप कर सके।

लेकिन यदि आप ब्रम्‍हचर्य को उपलब्‍ध होना चाहते है तो आप ध्‍यान में बैठना शुरू करे। जैसे-जैसे आपका ध्‍यान गहरा होता जायेगा वैसे-वैसे आपका अपनी इंद्रियो में कंट्रोल होता जायेगा।

और आप धीरे-धीर ब्रम्‍हचर्य को उपलब्‍ध होते जायेगें। इसलिये आपको ध्‍यान नियमित करना है। ध्‍यान में गहरा उतरने के लिये आप कुछ निम्‍न नियम जरूर अपना सकते है-

ब्रह्मचर्य के नियम | Brahmacharya Rules

  • आप अपने अहार-विहार को सही रखे।
  • दूसरों की निंदा करने से बचे।
  • दिन में कुछ समय मौन रहें।
  • बेवजह किसी से बात ना करें।
  • जो भी काम करे उसको होशपूर्ण करें।
  • दैनिक जीवन का कुछ समय प्रकृति के साथ बिताये।
  • गलत लोगो की संगति से दूर रहे।
  • भगवान पर पूर्ण भरोसा रखें।

गृहस्थ जीवन में ब्रह्मचर्य का पालन कैसे करें

यह सवाल हर शादी शुदा स्‍त्री पुरूष के मन में रहता है कि गृहस्‍थ जीवन में ब्रम्‍हचर्य का पालन कैसे करें। जैसे कि मैने शुरूआत में ही बताया है कि ब्रम्‍हचर्य का विवाह से कोई सबंध नही होता है

आप जिस भी अवस्‍था में है, सिर्फ ध्‍यान करना शुरू कर दीजिये। ब्रम्‍हचर्य के लिये किसी अवस्‍था का होना मायने नही रखता है। इसलिये आप जीवन की किसी भी स्थिति में रहकर ब्रम्‍हचर्य को उपलब्‍ध हो सकते है।

ब्रह्मचारी के लक्षण | Brahmacharya ke lakshan

ब्रम्‍हचारी एक वृक्ष की तरह होता है, जिसमे सहनशीलता कोई सीमा नही होती है। ब्रम्‍हचारी, मनुष्‍य जाति को बिना किसी स्‍वार्थ के एक खुशहाल जीवन जीने का रास्‍ता दिखाता है।

ब्रम्‍हचारी हमेशा निसकाम भाव से जीता है।  इसिलये जिसके जीवन में कोई इच्‍छा ना बची हो उसे ही ब्रम्‍हचारी कहते है।

ब्रह्मचर्य के नुकसान | Brahmacharya disadvantages

वैसे तो ब्रम्‍हचर्य से कोई नुकसान नही होता है। लेकिन इतना जरूर है कि जो व्‍यक्ति रिश्‍तो के डोर में बंधा है, वो धीरे-धीरे रिश्‍तो के डोर से मुक्‍त होने लगता है।

और उसके मन से संग्रह करने की लालसा विसर्जित होने लगती है। जिससे शायद ही वो अपने सगे सबंधी के अनुरूप अपना जीवन बिता पाये। ब्रम्‍हचर्य में भौतिक सुख सुविधायों की जरूरते सीमित हो जाती है।

इसलिये ऐसे व्‍यक्तियो को ब्रम्‍हचर्य में नही उतरना चाहिये, जिनके मन में ब्रम्‍हचर्य का पालन करने से भौतिक सुख सुविधाओं की पूर्ति करनी हो । क्‍योकि ब्रम्‍हचर्य से सदा उनको हानि ही होगी।   

ब्रह्मचर्य की प्रचण्ड शक्ति | Brahmacharya ki prachand shakti

ब्रम्‍हचर्य में उतरने से मनुष्‍य के अंदर प्रचण्‍ड शक्ति का उद्गम होता है। ब्रम्‍हचर्य की शक्ति इतनी प्रचण्‍ड होती है कि मनुष्‍य अपने इंद्रियो का राजा हो जाता है

ब्रम्‍हचर्य की शक्ति से मनुष्‍य के मन में इतनी संकल्‍प शक्ति पैदा होती है कि मनुष्‍य उस संकल्‍प शक्ति से ब्रम्‍हाण्‍ड में विचरण कर सकता है। और वो पंचभूत का महारथी बन जाता है।

जिससे वो किसी भी प्राकर की शरीर को धारण कर सकता है। ब्रम्‍हचर्य की शक्ति असीम है, इसको शब्‍दों में परभाषित नही किया जा सकता है।  

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प्रश्‍न- ब्रह्मचर्य आश्रम को कितने से कितने आयु वर्ष तक माना गया है?

उत्‍तर – ब्रम्‍हचर्य के लिये कोई उम्र नही होती है लेकिन ग्रन्‍थों में जन्‍म से लेकर 25 वर्षो तक का समय ब्रम्‍हचर्य का समय होता है।

प्रश्‍न- ब्रह्मचारी कितने प्रकार के होते हैं?

उत्‍तर -जैन धर्म में ब्रम्‍हचारी पांच प्रकार के होते है जो उपनय, अवलंब, अदीक्षा, गूढ और नैष्ठिक है!

प्रश्‍न-ब्रह्मचारी में कितनी शक्ति होती है?

उत्‍तरब्रम्‍हचर्य में उतरने वाले मनुष्‍य के अंदर असीम शक्तियां होती है। जिससे वह मनुष्‍य अपने संकल्‍प शक्ति से कुछ भी कर सकता है।

प्रश्‍न- ब्रह्मचर्य क्यों आवश्यक है?

उत्‍तरमनुष्‍य के जीवन में ब्रम्‍हचर्य की परम आवश्‍यकता होती है। सत्‍य को जानने के लिये ब्रम्‍हचर्य में उतरना आवश्‍यक है।


ब्रह्मचर्य को लेकर मेरे विचार

ब्रम्‍हचर्य एक उच्‍च कोटि अवस्‍था है जिसे प्रत्‍येक व्‍यक्ति को अपने में जीवन जरूर अपनाना चाहिये। वैसे तो मैने ब्रम्‍हचर्य से जुडे लगभग लगभग सभी सवालो का जवाब आपको सरल भाषा में समझाने प्रयास किया है।

और मुझे आशा है कि अब आपको brahmacharya kya hai सही से समझ में आ गया होगा। फिर भी अगर आपके मन में ब्रम्‍हचर्य को लेकर कोई सवाल या सुझाव है तो हमें कमेंट करके जरूर बताये। हम आपके कमेंट का इंतजार करते है।

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